tag:blogger.com,1999:blog-56971741290951608772023-11-15T23:29:03.684+05:30विचार-विमर्शदेवांशु (शिवम्)http://www.blogger.com/profile/00797931176280885169noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5697174129095160877.post-55370109694226277832016-07-23T17:07:00.000+05:302016-07-23T17:15:51.425+05:30गाली, नारीवाद और कुछ मुद्दे<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="background-color: white; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px; margin-bottom: 6px; margin-top: 6px; text-align: left;">
<h4>
<span style="color: #1d2129;"> </span><span style="color: #3d85c6;"> पिछले 3 दिन से मायावती चर्चा में हैं, राजनीतिक व्यक्तित्व अक्सर चर्चा में आते रहते हैं, लेकिन इस बार मामला उनके अपमान और उन्हें अपशब्द कहे जाने को लेकर है | बीजेपी के एक निलंबित पदाधिकारी ने उनके लिए आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया, और केस दर्ज होने के बाद अभी वह व्यक्ति फरार है |</span></h4>
<h4>
<span style="color: #3d85c6;"> अब इसके बाद मायावती के समर्थकों नें बदले में उस व्यक्ति और उसके परिवार को तमाम तरह की गालियाँ देनी शुरू कर दी, उसकी पत्नी, बेटी, माँ और बहन के लिए अपशब्<span class="text_exposed_show" style="display: inline; font-family: inherit;">द कहे गये और भय का माहौल बना दिया गया |</span></span><span style="color: #3d85c6;"> </span></h4>
<h4>
<span style="color: #3d85c6;"> इन परिस्थितियों के बीच असल मुद्दा यह है कि क्यूँ हर तरह के मामलों में महिलाओं को निशाना बनाया जाता है, यदि वह व्यक्ति दोषी है तो उसे सजा दिलाई जाये, पर जिस तरह महिला के अपमान के नाम पर मायावती के पक्ष के लोग उसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो क्या ये वैसा ही अपराध नहीं है, जोकि अधिक संगठित रूप से किया जा रहा है |</span></h4>
<h4>
<span style="color: #3d85c6;"> शोषक वर्गअथवा असंतुष्ट वर्ग दूसरे पक्ष को नीचा दिखाने के लिए उसकी पहचान को गालियों से जोड़ देता है, हमारे समाज में भी ऐसा हुआ, जातिवादी, अश्लील, नस्लभेद, वर्गभेद से जुडी तमाम गालियाँ बनीं | कुछ गालियाँ हमें किसी जानवर से तुलना कराती मिलती हैं तो कोई व्यक्तित्वगत कमजोरी प्रदर्शित करती हैं | कुल मिलकर किसी कमतरी का एहसास कराती हैं गालियाँ |</span></h4>
<h4>
<span style="color: #3d85c6;"> यहाँ अभी बात नारीवाद पर है, इन पूरी घटनाओं पर मेरा सवाल स्त्री विमर्श से जुड़े बुद्धिजीवियों से है कि क्यूँ आप सामने आकर इस घटना और प्रतिघटना पर समान रूप से आक्रोश प्रकट नहीं कर रहे हैं |</span></h4>
<h4>
<span style="color: #3d85c6;"> मुझको लगता है कि इस घटना ने एक बड़ा मौका उपलब्ध कराया है कि राजनीतिक खींचतान के तानेबाने को उपेक्षित करते हुए इस पर विमर्श का माहौल तैयार कराया जाये, कि भाषा में नारियों को अपमानित करने वाली अश्लील गालियों का समाज पर क्या असर पड़ता है और कैसे इस प्रभाव को कम किया जाए |</span><span style="color: #3d85c6;"> </span></h4>
<h4>
<span style="color: #3d85c6;"> पर अपने अनुभवों के आधार पर मैं यह भी देख रहा हूँ कि ये अश्लील गालियाँ हमारे परंपरागत रुढ़िवादी और साथ ही वैचारिक आधुनिक समाज में सामान रूप से चलनशील हैं | बहुत से टीवी या ऑनलाइन शोज में बहुत ही भद्दी भाषा का प्रयोग किया जाता है, पर उनका बोलने की स्वतंत्रता के नाम पर बचाव भी किया जाता है | बहुत से लोगों की बोलचाल में, चाहे वह महिला हो या पुरुष, ऐसे शब्द बड़े ही आराम से निकलते हैं |</span></h4>
</div>
<div class="text_exposed_show" style="background-color: white; display: inline; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px; text-align: left;">
<div style="font-family: inherit; margin-bottom: 6px; margin-top: 6px;">
<h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #3d85c6;"> तो अब सवाल यह है कि इनको आपत्तिजनक स्वीकार्य किये जाने की क्या सीमा मानी जानी चाहिए | मैं कोई मोरल पोलिसिंग की बात नहीं कर रहा हूँ, सिर्फ ये समझना चाह रहा हूँ कि ऑनरिकॉर्ड ऐसी बातें आना पर इतना हल्ला हो हल्ला मच जाता है, लेकिन दिनभर ऐसी ही भाषा का प्रयोग करने वाले नारीवाद के लिए चुनौती हैं या नहीं |</span></h4>
</div>
</div>
</div>
देवांशु (शिवम्)http://www.blogger.com/profile/00797931176280885169noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5697174129095160877.post-73959569113581653482015-03-08T12:50:00.000+05:302015-03-08T12:50:47.154+05:30महिला दिवस, न बने औपचारिकता बस <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="color: #660000;"><b>लो आ गया फिर से आठ मार्च,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>गूंजेगा हर ओर महिला अधिकारों का नाद |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>याद की जायेंगीं निर्भया, गुड़िया और भी कई अनजान,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>साइना, टेसी, सुनीता, इन सबका होगा सम्मान |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>बौद्धिक परिसरों के विशाल हॉल,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>दिनभर रहेंगे वक्तव्यों से गुलजार |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>होंगी तीखी बहसें, </b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>नारीवाद का बजेगा शंखनाद |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>पर क्या किसी ने सोचा,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>कब होगा नारी का असल उत्थान ?</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>कब स्त्रीलिंग होना,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>न बनेगा शोषण का आधार |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>क्या संस्कृति की दुहाई देने वाले, थामेंगें यह अनाचार,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>या आधुनिकता के अंध पैरोकार, करेंगें इस पर प्रहार |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>ना साहब, ऐसे न मिलेगा महिलाओ को उनका अधिकार.</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>करना होगा सबको, समन्वित सोच के साथ मिलजुल कर कार्य |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>परिचित होना होगा संस्कृति से अपनी, रूढ़ीवाद का चोला उतार,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>आधुनिकता भी अपनानी होगी, दुर्गुणों को करके साफ़ |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>निर्भया के आरोपियों के वकील जैसे, मिल जायेंगें कई राह चलते,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>ट्वीट भी होंगे खूब, मर्डर - 4, जिस्म - 5 के समाज सुधारक निर्माताओं की तरफ से |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>यहाँ कोई माँ अपनी बेटी को समझा रही होगी,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>वहां कोई माँ बेटे को जेल से छुड़ाने की फिराक में होगी |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>एक माँ को होगी बेटी की शादी की चिंता,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>और एक माँ बेटे को दहेज़ से तौलने की जुगत में होगी |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>----</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>ओहो भटक गया, आज तो महिला दिवस है,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>आज तो महिला समानता का जश्न होना चाहिये |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>पर क्या करूँ, संतोष जरा कम होता है,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>एकदिवसीय कार्यक्रमों से थोड़ा डर लगता है |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>-----</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>कैसे रुकें कन्या भ्रूण हत्याएं,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>जब दादी को हो पोते की आस |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>माता पिता भी सोंचें, लड़का करेगा पिंडदान,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>ओ बेचारों, बुद्धि के मारों,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>तुमने तो खुद ही कर लिया अपनी खुशियों का स्वेछादान |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>----</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>मन बहुत विचलित हो रहा है,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>कहीं कोई गुड़िया कराह रही है |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>ओ वीवीआइपीयो के महिला सम्मेलनों के सुरक्षा गार्ड,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>उन दामनियों को बचा लो, बड़ी मेहरबानी होगी |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b>क्योंकि उन्हें बचाने न आयेंगें, एआईबी रोस्ट और अंध आधुनिकता के सिपह सलारदार,</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b>न ही निकलेंगें वे सज्जन, संस्कृति को संकुचित कर जिन्होनें किया समाज का बंटाधार |</b></span><br />
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<span style="color: #660000;"><b><br /></b></span>
<br /></div>
देवांशु (शिवम्)http://www.blogger.com/profile/00797931176280885169noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5697174129095160877.post-49559986645763282642014-12-03T21:33:00.001+05:302014-12-03T21:33:35.716+05:30भोपाल गैस त्रासदी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial; font-size: small;">
<span style="font-size: 12.7272720336914px;"> </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"><span style="font-size: 12.7272720336914px;"> </span>दर्द नहीं कम होगा</span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> एक पक्षीय सिद्धांत आदर्शों से, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> पिस रही है मानवता </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> आशंका के चक्रव्यूह में </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> न जाने कितने बरसों से। </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"><br /></span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> सुविधा मानव की प्रवृत्ति</span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> मानव प्रकृति के बीच भित्ति,</span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> बुद्धि ह्रदय का अंतराल </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> असमन्यवता की मिसाल </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> पूंजी का ऐश्वर्य जाल,</span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> चरमोत्कर्ष ला दिया तुमने </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> सुविधा को दुविधा में डाल,</span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> नागासाकी हिरोशिमा </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> अब रच डाला है भोपाल, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> अंधी दौड़ का परिणाम </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> भोपाल काल, भोपाल काल। </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"><br /></span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> गम और आंसुओं के सैलाब में</span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> डूब गया भोपाल ताल, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> मृत्यु सहम कर थरथरा गई </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> देख नर पिशाचों का हाल, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> अभी - अभी सो रहा था जो</span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> एक नगर खुशहाल, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> मानव के खूनी हाथों ने </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> लिख दी उसकी कथा - कराल। </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"><br /></span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> श्वांस ने लिया श्वांस अनगिनत </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> न जाने तड़पे कितने,</span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> घुट - घुट कर मरे वहीँ </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> जितने थे उतने के उतने, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> कीट नाशक ने कैसे जिन्दा दफनाया </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> मानव को कीटों जैसा, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> पूंजीवाद ने डसा </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> अमरीका के वीटो जैसा, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> वोट बैंकरों ने डसा अपनी वोटों को, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> दलालों ने भरा अपनी कोटों को,</span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> लेकिन, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> उन बेचारों का क्या दोष </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> जिन्होंने भोगा इसको, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> यह कोई प्राकृतिक प्रकोप नहीं, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> मानव सी आकृतियों नें </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> भेजा था परलोक उनको। </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"><br /></span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> संसार की अनुपम कृति को </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> क्या भष्मासुर बनना है, </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> अपने ही उपकरणों से </span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="color: #3d85c6;"> क्या भस्म धरा को करना है। <span style="background-color: transparent;"> </span></span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="background-color: transparent;"><span style="color: #3d85c6;"><br /></span></span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="background-color: transparent;"><span style="color: #3d85c6;"><br /></span></span></div>
<div style="background-color: white;">
<span style="color: #3d85c6;"><span style="background-color: transparent; font-family: arial;"> - </span><span style="background-color: transparent;"><span style="font-family: arial;">देवेन्द्र कुमार द्विवेदी</span></span></span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="background-color: transparent;"><span style="color: #3d85c6;"><br /></span></span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="background-color: transparent;"><span style="color: #3d85c6;"> ( पिताजी द्वारा तीस वर्ष पूर्व लिखित )</span></span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="background-color: transparent;"><span style="color: #3d85c6;"><br /></span></span></div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<div>
<span style="color: #3d85c6;"> इस भीषण दुर्घटना में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि एवं प्रभावित लोगों के प्रति हार्दिक संवेदना। </span></div>
<div>
<span style="color: #3d85c6;"><br /></span></div>
<div>
<span style="color: #3d85c6;"> एंडरसन तो बिन सजा पाये ही मर गया पर जीवित दोषियों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए और प्रभावितों के पुनर्वास की बेहतर व्यवस्था की जाने चाहिए। </span></div>
</div>
<div style="background-color: white; font-family: arial;">
<span style="background-color: transparent;"><span style="color: #3d85c6;"> </span></span></div>
</div>
देवांशु (शिवम्)http://www.blogger.com/profile/00797931176280885169noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5697174129095160877.post-43354914769607399572013-07-31T19:04:00.000+05:302013-07-31T19:04:32.847+05:30साहित्य के रत्न - मुंशी प्रेमचंद <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #b4a7d6;"> </span><span style="color: #0b5394;"> आज 31 जुलाई है, महीने का अंतिम दिन, नौकरीपेशा लोगों के लिए यह दिन पगार के इंतज़ार का अंतिम दिन होता है, तो वहीँ बच्चों के लिए विद्यालय में मासिक टेस्ट की चिंता का अंतिम दिन। परन्तु साहित्य प्रेमियों के लिए यह दिन विशेष उत्साह का होता है क्योंकि आज वैश्विक स्तर के दो विशिष्ट उपन्यासकारों का जन्मदिवस है, प्रथम उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंदजी का जबकि दूसरा हैरी पॉटर की रचनाकार जे.के. रोलिंग का।</span></h4>
<h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #0b5394;"> मुंशी प्रेमचंद के नाम से मेरा प्रथम परिचय कक्षा पांच में हुआ था जब हिंदी के पाठ्यक्रम में शामिल 'ईदगाह' कहानी में हामिद के चिमटा खरीदने के उद्यम ने मेरे बालमन को बहुत प्रभावित किया था। उसके बाद तो उनकी अनेक कहानियों को पढ़ने का अवसर मिला है, उनकी लेखनी से कोई भी तात्कालीन भावनात्मक एवं सामाजिक मुद्दा अछूता नहीं रहा है। </span></h4>
<h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #0b5394;"> आज से 133 वर्ष पूर्व अर्थात 31 जुलाई 1880 को एक साधन सुविधा विपन्न घर में जन्मे मुंशी जी का अधिकाँश जीवनकाल आर्थिक दुरावस्था में ही बीता, बाल्यकाल में ही माता स्वर्ग सिधार गईं, पिता के दूसरा विवाह करने के बाद आईं विमाता ने उन्हें वह स्नेह न दिया जिसकी उन्हें आवश्यकता थी। शिक्षा प्राप्त करने हेतु वह अपने ग्राम लमही से कई किलोमीटर दूर बनारस पैदल नंगे पांव ही जाया करते थे पर कुछ समय बाद पिता की भी मृत्यु हो जाने पर उनपर घर के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी आन पड़ी। उसी समय 15 वर्ष की अवस्था में उनका विवाह भी कर दिया गया , परन्तु पत्नी के गुणवती न होने के कारण यह शादी कुछ वर्षों बाद टूट गयी। इसके बाद उन्होंने अपने सिद्धांतों के अनुरूप एक बाल विधवा से विवाह कर लिया। 133 वर्ष पूर्व अर्थात 31 जुलाई 1880 को एक साधन सुविधा विपन्न घर में जन्मे मुंशी जी का अधिकाँश जीवनकाल आर्थिक दुरावस्था में ही बीता, बाल्यकाल में ही माता स्वर्ग सिधार गईं, पिता के दूसरा विवाह करने के बाद आईं विमाता ने उन्हें वह स्नेह न दिया जिसकी उन्हें आवश्यकता थी। शिक्षा प्राप्त करने हेतु वह अपने ग्राम लमही से कई किलोमीटर दूर बनारस पैदल नंगे पांव ही जाया करते थे पर कुछ समय बाद पिता की भी मृत्यु हो जाने पर उनपर घर के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी आन पड़ी। उसी समय 15 वर्ष की अवस्था में उनका विवाह भी कर दिया गया , परन्तु पत्नी के गुणवती न होने के कारण यह शादी कुछ वर्षों बाद टूट गयी। इसके बाद उन्होंने अपने सिद्धांतों के अनुरूप एक बाल विधवा से विवाह कर लिया। </span><br />
<span style="color: #0b5394;"> मुंशी प्रेमचंद जी का रचनाकर्म समाज के उत्थान हेतु समर्पित है, अपने जीवनकाल में उन्होंने 300 से अधिक कहानियाँ लिखी, अनेक उपन्यास लिखे, निबन्ध, पत्र आदि की संख्या तो हजारों में रही है। </span></h4>
<h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #0b5394;"> अपने समस्त रचनाकर्म में मुंशी जी का जोर रूढ़ीवाद का विरोध, अंधविश्वास के उल्मूलन, शोषितों को शोषकों से बचाने का प्रयास एवं समाज को एक नयी दिशा दिखने का रहा है। उनकी एक कहानी 'मृत्युभोज' समाज में व्याप्त उस परंपरा के स्याह पक्ष को सामने लाती हैं जिसमें एक गरीब परिवार के व्यक्ति की मृत्यु होने पर जिस वक्त उस परिवार को समाज से सहायता की आवश्यकता होती है तब उसको पंडितों एवं समाज के ही लोगों को भोजन कराना पड़ता है, भले ही घर के ही बच्चे भूख से बिलख जाएँ। </span></h4>
<h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #0b5394;"> इसी प्रकार मुझे एक और कहानी याद आ रही है 'बौड़म' ,इस कहानी का मुख्य पात्र एक संपन्न परिवार में जन्म लेता है पर वह बाहरी आडम्बरों से अछूता रहकर समाज का भला करना चाहता है, लेकिन लोग उसे बौड़म अर्थात पागल कहकर पुकारते हैं। आज भी निःस्वार्थ भाव से सेवा करने के इच्छुक व्यक्ति को समाज अस्वीकार कर देता है। आज भ्रष्टाचार एवं दहेज़ प्रथा सामाजिक स्वीकार्यता प्राप्त कर चुके है, यूँ तो बाहरी तौर पर लोग इनका विरोध करते हैं लेकिन अंदरखाने में इनसे लाभान्वित होने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं। जन्म लेता है पर वह बाहरी आडम्बरों से अछूता रहकर समाज का भला करना चाहता है, लेकिन लोग उसे बौड़म अर्थात पागल कहकर पुकारते हैं। आज भी निःस्वार्थ भाव से सेवा करने के इच्छुक व्यक्ति को समाज अस्वीकार कर देता है। आज भ्रष्टाचार एवं दहेज़ प्रथा सामाजिक स्वीकार्यता प्राप्त कर चुके है, यूँ तो बाहरी तौर पर लोग इनका विरोध करते हैं लेकिन अंदरखाने में इनसे लाभान्वित होने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं। </span></h4>
<h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #0b5394;"> वैसे तो अभी भी मुंशी जी की कई कहानियाँ मन में विचरण कर रही हैं परन्तु अब कंप्यूटर की कुंजियों को आराम करने का भी वक्त देना चाहिए। </span></h4>
<h4 style="text-align: left;">
<span style="color: #0b5394;"> मुंशी प्रेमचंद जी को हार्दिक नमन. </span></h4>
</div>
देवांशु (शिवम्)http://www.blogger.com/profile/00797931176280885169noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5697174129095160877.post-40106419663553715252012-05-18T22:24:00.000+05:302012-05-18T22:24:03.888+05:30राष्ट्रपति चुनाव की जोड़ -तोड़<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<br class="Apple-interchange-newline" /><span style="color: #351c75;">पी.ए. संगमा जी ने क्या खूब उठाया आदिवासी राष्ट्रपति का मुद्दा,</span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="color: #351c75;">उम्मीदवारी-ए-राष्ट्रपति जताने बिसर गए पद की गरिमा का मुखड़ा |</span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;"><br /></span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="color: #351c75;"><span style="line-height: 1.8;">मुलायम ने भी कह दिया कि मुसलमान को राष्ट्रपति बनाओ,</span><span style="line-height: 1.8;"></span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;">और बिना रिश्वत के हमारा समर्थन मुफ्त में ले जाओ |</span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;"><br /></span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;">मुलायम की तो यही चाह है कि मिल सकें वोट उन क्षुद्र जीवों के,</span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;">जो तुक्ष्य मानें योग्यता को और दें वोट धर्म और सम्प्रदाय को |</span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;"><br /></span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;">बीजेपी - कांग्रेस ने साध रखी है चुप्पी अभी अपनी इच्छा से,</span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;">पर नहीं हैं निर्मल वे भी इस गन्दी और ओछी मानसिकता से |</span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;"><br /></span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;">देश की प्रबुद्ध जनता कह रही है यह बात चीख - चीख कर,</span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;">हमको चाहिए अपने देश के लिए एक योग्य राष्ट्रपति,</span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;"> न कि मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे आदि का धर्माधिपति ||</span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;"><br /></span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;"><br /></span></span></div>
<div style="font-family: arial; line-height: 25px; text-align: -webkit-auto;">
<span style="line-height: 1.8;"><span style="color: #351c75;"> - देवांशु द्विवेदी </span></span></div>
<br class="Apple-interchange-newline" /></div>देवांशु (शिवम्)http://www.blogger.com/profile/00797931176280885169noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5697174129095160877.post-88320850393453173952011-11-26T22:48:00.003+05:302016-07-10T14:40:08.493+05:30आतंकवादी हमलों का कारण भारत सरकार का रवैया <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="Apple-style-span" style="color: purple;"> आज मुंबई हमले की त्रासदी हुए तीन वर्ष हो गए हैं, इस हमले में मारे गए व्यक्तियों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि एवं इस हमले में घायल एवं प्रभावित हुए लोगों को सहानुभूति |</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: purple;"> जिस वक्त हमला हुआ था उस समय मैं नागपुर में एक होटल के कमरे में यात्रा की थकान उतार रहा था कि तभी टेलीविजन से हमले की खबर मिली | चूँकि उस दिन पहली बार मैंने महाराष्ट्र में प्रवेश किया था इसलिए नागपुर और मुंबई के बीच लम्बी दूरी होने के बावजूद ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं घटना स्थल में ही मौजूद हूँ | मेरे लिए तो महाराष्ट्र में ठहराव सामान्य ही रहा पर बहुत से देशी एवं विदेशी लोगों के लिए वह ठहराव जिंदगी का ठहराव साबित हो गया | </span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: purple;"> पर हमले के तीन साल बीत जाने पर हमें इस दौरान हुए घटनाक्रमों के आधार पर यह सोचने कि आवश्यकता है कि इन हमलों का जिम्मेदार कौन है, आम भारतीय तथा सरकार मानती है कि इन हमलों का जिम्मेदार पाकिस्तान है जो कि अपनी भूमि पर आतंकवादियों को संरक्षण दे रहा है तथा आर्थिक एवं अन्य प्रकार की सहायता के द्वारा भारत पर आतंकवादी हमले करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है | अभी तक मेरा मानना भी यही था लेकिन वास्तविकता यह है कि इन हमलों के लिए जिम्मेदार भारत सरकार है क्योकि जब एक आतंकवादी समूह हमारी विधायिका जहाँ पर सिद्धांततः देश के नफे नुकसान से सम्बंधित बातों पर विचार करके देश के हित के लिए कानून बनाये जाते हैं अर्थात संसद पर हमला करता है और हमारे बहादुर सुरक्षाकर्मी इस हमले को नाकाम करते हैं, हमारी जांच एजेंसियां मुख्य अपराधी को पकड़ कर अदालत में पेश करती है, हमारे न्यायालय एक नहीं बल्कि कई बार अपराधी को मृत्युदंड सुनाते हैं, परन्तु हमारी सरकार अपराधी द्वारा राष्ट्रपति को दी गयी दया याचिका को सालों तक लटकाकर मुख्य अपराधी को जेल में आराम से जीवन यापन करने कि सहूलियत प्रदान करती हैं |</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: purple;"> इसी प्रकार देश की आर्थिक राजधानी में आतंकवादी हमला होता है, सैकड़ों लोग मारे जाते हैं, इस आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले नौ आतंकी भी मारे जाते है लेकिन एक बहुत ही सौभाग्यशाली आतंकवादी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जिन्दा ही पकड़ लिया जाता है, उस आतंकवादी को मीडिया के कैमरों द्वारा पूरा भारत ही नहीं पूरा विश्व आतंकी वारदात करते हुए देखता है परन्तु हमारे यहाँ न्यायालयी व्यवस्था का पूरा सम्मान किया जाता है इसीलिए हमारी सरकार अपराधी को देश के खर्चे से वकील करने कि सुविधा देती है और अब जबकि विशेष न्यायालय और फिर उच्च न्यायालय ने चीख - चीख कर कह दिया है कि कसाब को मृत्युदंड दिया जाता है तब तक में सरकार ने अरबों रुपये कसाब की सुरक्षा और अन्य मदों में खर्च कर दिए हैं, और अब कसाब की याचिका सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है | और लम्बे समय तक सुनवाई करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय भी कसाब की फांसी की सजा बरकरार रखेगा और फिर कसाब की दया याचिका ठुमकते - ठुमकते राष्ट्रपति के पास पहुँच जाएगी और उसके बाद कसाब भी अफजल गुरु की तरह आराम से जेल में जिंदगी गुजारेगा | </span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: purple;"> भारत सालों से रोना रो रहा है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को संरक्षण दे रहा है, मुंबई हमलों के मुख्य आरोपियों पर कार्यवाही नहीं कर रहा है, लेकिन जब हम स्वयं आतंकियों को पकड़ने के बाद उनको सजा नहीं दे सकते तो हम किसी दूसरे देश वो भी पाकिस्तान से ऐसी उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि वो आतंकवादियों को पकड़ेगा, और मैं तो चाहता हूँ की पाकिस्तान किसी आतंकवादी को पकडे तो बहुत अच्छी बात है परन्तु वह किसी भी आतंकवादी को भारत को प्रत्यर्पित न करे अन्यथा अफजल और कसाब जैसे और भी आतंकी जनता के धन से जेल में खूब मजे लूटेंगे | </span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: purple;"> इस स्थिति में मैं भारत में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान, आतंकवादी संगठनों एवं उनके समर्थकों के स्थान पर स्वयं भारत को जिम्मेदार मानता हूँ, चूँकि हम लोकतांत्रिक देश के निवासी है और अप्रत्यक्ष रूप से देश की जनता ही अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से देश को चलाती है इसलिए इन हमलों के जिम्मेदार हम भारतवासी ही है यदि हम अर्थात पूरे देश की जनता आतंकियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने की ठान लें तो कोई भी राजनीतिक दल हमारी राय के खिलाफ नहीं जा सकता | हम विकासशील देश होने के कारण ज्यादातर मामलों में अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों की नीतियों को बिना कुछ सोचे समझे अपने देश में लागू करते हैं काश कि हम आतंकवाद के मामले में भी अमेरिकी नीति से कुछ सबक सीखते | जब तक हम आतंकियों के खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार नहीं करेंगे तब तक हम आतंकी संगठनों को आतंकी वारदात करने के लिए प्रेरणास्रोत ही बने रहेंगे |</span></div>
देवांशु (शिवम्)http://www.blogger.com/profile/00797931176280885169noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5697174129095160877.post-11749112767700785452011-06-10T22:16:00.000+05:302011-06-11T00:17:42.162+05:30चर्बीयुक्त कारतूस और बाबा की गोपनीय चिट्ठी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span class="Apple-style-span" style="font-family: 'Trebuchet MS', Trebuchet, Verdana, sans-serif; font-size: 15px;"><br />
</span><br />
<div style="text-align: left;"><div style="margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><div style="margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"> <span class="Apple-style-span" style="color: #45818e;"> इस सदी का दूसरा दशक अपने साथ विभिन्न देशों में लम्बे समय से अपरिवर्तित सत्ता को बदलने तथा भ्रष्टाचार एवं अन्य सामाजिक बुराइयों को दूर करने की इच्छा शक्ति लेकर आया है | ट्यूनीशिया से शुरू हुई क्रांति की आग ने मिस्र, यमन, लीबिया आदि देशों में जनसामान्य की सत्ता परिवर्तन की चाह को साहस द्वारा पूरा करने की प्रेरणा दी | इनमें से कुछ देशों में ये क्रांतियाँ स्थानीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों से सफल हुई वहीँ कुछ राष्ट्रप्रमुखों ने दमन की नीति चलते हुए अभी तक सत्ता नहीं छोड़ी है |</span></div></div></div><div style="text-align: left;"><div style="margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><div style="margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="color: #45818e;"> अपने भारत देश में भी वर्तमान समय की सर्वप्रमुख समस्या भ्रष्टाचार जोकि हमारे देश को टेबल के नीचे से एवं लिफाफों के के अन्दर से महात्मा गाँधी के मुस्कुराते हुए चहरे के साथ खोखला कर रही है, के खिलाफ अप्रैल माह में अन्ना हजारे जी के नेतृत्व में सरकार के समक्ष लोकपाल विधेयक के प्रस्ताव के लिए आन्दोलन किया गया| सरकार द्वारा अन्ना की सभी प्रमुख मांगे मान लिए जाने के बाद यह अनुभव हो रहा था की इस बीमारी का प्राथमिक इलाज सही हो रहा है | परन्तु अब तो अन्ना ही यह कहने लगे हैं के सरकार ने हमारे साथ धोखा किया है | </span></div></div></div><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;"><div style="margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><div style="margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="color: #45818e;"> अब इसके बाद जून में बाबा रामदेव अनशन पर बैठते हैं | वह व्यक्ति जिसने कई सालों से योग तथा प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद के प्रचार - प्रसार के द्वारा लाखों लोगों को स्वास्थ्य लाभ कराया है वह अब विदेशों से काले धन को देश में लाकर उसे राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित करने सहित अन्य कई राष्ट्रहित की मांगों को मनवाने के लिए रामलीला मैदान में अपने समर्थकों समेत अनशन पर बैठता है |</span></div></div></div><div style="text-align: left;"><div style="margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px; text-align: left;"><div style="margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="color: #45818e;"> केंद्र सरकार बाबा रामदेव के प्रभाव और उनके समर्थकों की बड़ी संख्या को देखते हुए और अन्ना हजारे के अनशन के प्रभाव से सीख लेते हुए अनशन शुरू होने के एक दिन पहले बाबा रामदेव को मनाने के लिए अपने चतुर एवं कुटिल मंत्रियों को उनके पास भेजती है, बैठक के बाद यह बात सामने आती है की अधिकतर मुद्दों पर सहमति बन गयी है परन्तु सभी बातों को न माने जाने के कारण बाबा रामदेव अनशन करेंगे | अगले दिन पुनः बाबा और केन्द्रीय मंत्रियों में बातचीत होती है और शाम तक बाबा की सभी बातें मांग लिए जाने की सूचना प्राप्त होती है लेकिन साथ ही साथ बड़े ही नाटकीय रूप से एक चिट्ठी प्रकट होती है जिसमें बाबा रामदेव द्वारा अनशन शुरू करने के एक दिन पहले ही 2-3 दिन के के अन्दर ही आन्दोलन ख़त्म करने की घोषणा सरकार के समक्ष की जाती है |</span></div><div style="margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="color: #45818e;"> पिछले एक हफ्ते से चल रहे सभी नाटकीय एवं नकारात्मक घटनाक्रम का मूल यह चिट्ठी ही है | हांलाकि यह बात तो निश्चित है बाबा रामदेव अपनी बाहरी वाणी के द्वारा जितने ईमानदार, एवं आदर्श व्यक्तित्व होने की बात करते हैं अपनी मन की वाणी में वे वैसे नहीं है तभी तो उनके खिलाफ बहुत सी बातें उठती है परंतु फिर भी उन्होनें एक अच्छे कार्य के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए हैं | ऐसे में बाबा के साथ केंद्र सरकार का ऐसा बर्ताव निःसन्देह अंग्रेज़ जमाने की याद दिलाता है | जहां सिब्बल जैसे अनुभवी एवं कुटिल मंत्रियों का समूह हो वहाँ बाबा का उनके बहकावे में आकर चिट्ठी दे देना कोई आश्चर्यजनक घटना नहीं है | लेकिन इस चिट्ठी की घटना ने इस संगठित आन्दोलन को पूरी तरह से बिखेर दिया है, इतिहास में ऐसी अनेक संस्मरण हैं जब किसी एक घटना ने पूरे आन्दोलन को नाकाम कर दिया हो | भारतीय इतिहास में 1857 की क्रांति को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नाम से जाना जाता है, इस क्रांति का तत्कालीन कारण चर्बीयुक्त कारतूस थे जिसके कारण सैनिकों में असंतोष हो जाने के कारण क्रांति नियत समय के पहले ही शुरू हो गयी | क्रांति का नियत समय से पहले शुरू होना भी क्रांति के असफल होने के प्रमुख कारणों में से एक था | इसी प्रकार भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुई लड़ाई भी चिट्ठी प्रकरण के बाद से दिशाहीन हो गयी है |</span></div><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;"><div style="margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="color: #45818e;"> बाबा रामदेव एवं सरकार की मंशा क्या है और कौन कितना दोषी है, इन विचारों को छोड़ते हुए हमें ये सोचना चाहिए 4-5 तारीख की दरम्यानी रात को जो भी हुआ वह कितना सही था | यदि बाबा ने सरकार के साथ धोखा किया था तो सरकार को तार्किक बिन्दुओं को आधार बना कर बाबा पर कार्यवाही करनी चाहिए थी | परन्तु सरकार ने बाबा का समर्थन करने वाले हजारों लोगों को बेरहमी के साथ रामलीला मैदान के पंडाल से बाहर करवा दिया | वे न तो सरकार की चालाकी समझते थे और न ही बाबा रामदेव की चालाकी को, वे तो मात्र इस आशा में अनशन में बैठे थे की इन मांगों को मान लिए जाने उनका जीवन बेहतर होगा और हम नई पीढ़ी को एक अच्छा भविष्य देकर जायेंगे | बाबा रामदेव के समर्थक देश के अलग - अलग भागों से आये थे इसलिए ऐसे बहुत कम खुशनसीब लोग ही रहे होंगे जिनका घनिष्ठ परिचित दिल्ली में रहा हो और वे वहां आसरा पा सके हों |ऐसे में आंसू गोले और डंडों की मार झेलने के बाद निश्चित ही वह रात उनके लिए बहुत ही भयावह रही होगी | </span></div></div><div style="text-align: left;"><div style="margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="color: #45818e;"> सरकार और दिल्ली पुलिस इस मामले में बहुत ही बचकाने से तर्क दे रही है | इस घटना के बाद सरकार के सभी मंत्री रामदेव बाबा को गलत साबित करने में जुट गए हैं | लेकिन सर्वाधिक चिंतनीय बात तो यह है की सात दिनों से अनशन पर बैठे बाबा के गिरते स्वास्थ्य के बावजूद सरकार आँख मूंदे बैठी है | </span></div></div></div></div></div></div></div>देवांशु (शिवम्)http://www.blogger.com/profile/00797931176280885169noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5697174129095160877.post-647821184220703362011-02-27T20:01:00.001+05:302011-02-27T20:04:38.310+05:30भारतीय न्याय तंत्र में अफजल और कसाब<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #8e7cc3;"><span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">दो दिन पहले के अखबार में एक खबर ने मेरा ध्यान खींचा वह खबर थी- ''राष्ट्रपति को नहीं भेजी अफजल की दया याचिका'' | इस खबर के अनुसार केन्द्रीय गृह मंत्री ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह बताया है </span><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: large; line-height: 25px;">कि अफजल गुरु की दया याचिका अभी तक राष्ट्रपति भवन तक नहीं पहुंचाई गयी है|</span><span class="Apple-style-span" style="font-size: large;"> पूरी खबर पढ़ने के बाद इस बात का भी ज्ञान हुआ </span><span class="Apple-style-span" style="font-size: large;">यदि सरकार आरोपी की दया याचिका पर अनिश्चितकाल तक कोई निर्णय न ले तो आरोपी को अपने मामले को उच्चतम न्यायालय में ले जाने का विकल्प प्राप्त हो जाता है, अब यहाँ पर 'अनिश्चितकालीन' समय से किस समय अवधि का बोध होता है यह तो मुझे समझ में नहीं आ रहा लेकिन वर्तमान हालातों को देखकर यह अवश्य ही समझ में आ रहा है,</span><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: large; line-height: 25px;">कि</span><span class="Apple-style-span" style="font-size: large;"> भारत की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था 'भारतीय संसद' में हमला कर भारत की अस्मिता पर चोट पहुँचाने वाला हमले का मास्टर माइंड अफजल गुरु स्वाभाविक मृत्यु से ही मारा जायेगा क्योंकि निचली अदालत द्वारा अफजल को फांसी की सजा दिए जाने और उच्च न्यायलय एवं उच्चतम न्यायलय द्वारा फांसी की सजा के निर्णय को बरक़रार रखे जाने के साढ़े चार वर्ष बाद भी अफजल जेल में भारतीय जमीं का अन्न डकार रहा है | और उसकी पत्नी द्वारा राष्ट्रपति को भेजी गयी दया याचिका देश में संचार क्रांति के आ जाने के बावजूद अभी तक अपने गंतव्य अर्थात राष्ट्रपति भवन तक नहीं पहुँच पाई है |</span></span></div><div style="text-align: left;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #8e7cc3; font-size: large;"> जहाँ एक और अफजल गुरु की दया याचिका केन्द्रीय गृह मंत्रालय के कार्यालय में आराम फरमा रही है वहीँ भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर आतंकवादी हमला कर सैकड़ों लोगों की जान लेने वाले दस आतंकवादियों में से जिन्दा बचे एकमात्र आतंकी अजमल कसाब को निचली अदालत द्वारा दिए गए मृत्युदंड को मुंबई उच्च न्यायलय ने बरकरार रखा है, और अब कसाब के वकील ने उच्चतम न्यायलय में अपील करने के विकल्प के खुला होने की बात की है यदि यह मामला उच्चतम न्यायलय में गया तो भी निर्णय मृत्युदंड का ही रहेगा इसके बाद कसाब अपने आखिरी अधिकार का भी प्रयोग करेगा और वह भी राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजेगा और अन्त्वोगत्वा वह भी अफजल गुरु की तरह ही सरकारी आवास अर्थात जेल में अपनी जिंदगी गुजार देगा और भारत सरकार देश के ईमानदार एवं मेहनतकश लोगों द्वारा दिए गए कर के करोड़ों रुपयों का उपयोग इन आतंकियों की सुरक्षा के नाम पर खर्च कर देगी | </span></div><div style="text-align: left;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #8e7cc3; font-size: large;"> अब तो दया याचिका का प्रयोग बड़े गुनाहगारों को बचने के लिए किया जाने लगा है और इस मामले में तो उच्चतम न्यायालय भी कुछ नहीं कर सकती |</span></div><div style="text-align: left;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #8e7cc3;"><span class="Apple-style-span" style="font-size: large;"> कसाब मामले में यह बात अक्सर कही गयी है </span><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: large; line-height: 25px;">कि</span><span class="Apple-style-span" style="font-size: large;"> कसाब को अपना बचाव करने और अपनी बात कहने का पूरा मौका दिया गया है ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि एक ऐसे राष्ट्र के रूप में बन जाये जहाँ पर एक आतंकवादी के लिए भी कानून एवं न्यायालय पूरी निष्पक्षता के साथ कार्य करता है | परन्तु यहाँ पर मेरा प्रश्न यह है </span><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: large; line-height: 25px;">कि मानाकि</span><span class="Apple-style-span" style="font-size: large;"> इस मामले से तो देश की छवि अच्छी होगी, परन्तु क्या विश्व की भीषणतम रासायनिक दुर्घटना भोपाल गैस त्रासदी में साढ़े पच्चीस वर्ष बाद आये अन्यायपूर्ण निर्णय से देश की छवि को बहुत लाभ हुआ है, अनेक मामलों में अपराधी करार दिए जाने वाले राजनेता और प्रभावशाली व्यक्ति जब अल्प समय में जेल से छूट कर आजाद घूमते हैं क्या तब भारत की छवि बहुत अच्छी हो जाती है, जब किसी मामले पर न्यायालय का फैसला तीस-चालीस वर्षों बाद आता है तो क्या भारत की छवि में निखार आ जाता है |</span></span></div><div style="text-align: left;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #8e7cc3; font-size: large;"> भोपाल गैस त्रासदी पर न्यायालय का निर्णय, अफजल गुरु का अभी तक जिन्दा रहना आदि ऐसे कई मामलों के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि एक ऐसे राष्ट्र के रूप में बन रही है जहाँ देश पर हमला और देश का अहित करने वाले आरोपी विदेशी नागरिकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान दिया जाता है जबकि देश की आम जनता न्यायालय में न्याय मांगते हुए ही बूढी हो जाती है |</span></div><div style="text-align: left;"><div style="text-align: left;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #8e7cc3; font-size: large;"> जब पूरे भारत ने मीडिया के माध्यम से कसाब को आतंक फैलाते हुए देखा है तो क्यों न्याय की निष्पक्षता के नाम पर उसको जेल में जिन्दा रखकर उसकी सुरक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये फूंके जा रहे हैं| पुराने समय में अपराधी को शहर की जनता के सामने छोड़ दिया जाता था और जनता द्वारा अपराधी को पत्थरों से मारा जाता था और अंततः अपराधी की मृत्यु हो जाती थी | कसाब और अफजल जैसे आतंकियों के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए ताकि कोई भी हमारे देश की ओर आँख उठाने की हिम्मत ही न कर सके | </span></div></div><div style="text-align: left;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #8e7cc3; font-size: large;"> </span></div><div style="text-align: left;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #8e7cc3;"> </span></div></div></div>देवांशु (शिवम्)http://www.blogger.com/profile/00797931176280885169noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-5697174129095160877.post-41902309506199631982011-01-06T11:47:00.009+05:302011-04-25T19:18:47.624+05:30बीते वर्ष की दो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="line-height: 25px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #0b5394; font-size: large;"><span class="Apple-style-span" style="line-height: 25px;"><span class="Apple-style-span"> </span></span><span class="Apple-style-span" style="line-height: 25px;"> 2010 बीत गया है और एक नया वर्ष 2011 हमारे सामने है, प्रत्येक वर्ष जब साल की शुरुआत होती है तो हम सभी एक दूसरे को इस उम्मीद के साथ शुभकामनाएं देते हैं कि नया वर्ष हमारे लिए खुशियों से भरा होगा | इसी आशा से मैं सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं देता हूँ |</span></span><br />
<span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #0b5394; font-size: large;"><span class="Apple-style-span" style="line-height: 25px;"></span><span class="Apple-style-span" style="line-height: 25px;"><br />
</span><span class="Apple-style-span" style="line-height: 25px;"> प्रत्येक वर्ष की तरह बीता वर्ष भी अनेक अच्छी एवं बुरी घटनाओं का साक्षी रहा है | लेकिन निश्चित ही यह वर्ष अनेक घोटालों के खुलासों के लिए याद किया जायेगा | सर्वप्रथम राष्ट्रमंडल खेल घोटाला फिर आदर्श हाऊसिंग घोटाला उसके बाद सभी घोटालों का बाप 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला उसके बाद तो घोटालों के खुलासों की ऐसी लाइन लगी की किसी आम आदमी के लिए उन सभी घोटालों का नाम याद रख पाना भी मुश्किल हो गया अब तो वह समय आ गया है की 'घोटाला समाचार' नाम से एक दैनिक समाचार पत्र का प्रकाशन भी किया जा सकता है| लेकिन इतना निश्चित है की इन सभी घोटालों की जांच में वर्तमान भारतीय रीति का पूरी तरह से पालन किया गया है और देश के साथ इतनी बड़ी गद्दारी करने के लिए मंत्रियों एवं सत्ता से जुड़े व्यक्तियों को सिर्फ अपने पद का त्याग करना पड़ा है जोकि मामला शांत होने पर उन्हें वापस भी मिल जायेगा | जांच में हो रही लेट -लतीफी और मंद गति को देख कर तो ऐसा लग रहा है कि सभी घोटालेबाजों को समय दे दिया गया था की इस दिनांक तक आप अपना पूरा अवैध धन स्विस बैंकों में जमा करा दीजिये क्योंकि उस दिनांक के बाद आपके यहाँ सी.बी.आई. का छापा पड़ेगा |</span></span></div><div style="line-height: 25px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="line-height: 25px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #0b5394; font-size: large;"> हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी तो आई.एस.ओ. द्वारा ईमानदारी का प्रमाणपत्र प्राप्त कर चुके हैं, अब उनको इस बात से क्या फर्क पड़ता है की उनके मंत्रिमंडल में कितने बेईमान बैठे हैं| वे बिचारे कर ही क्या सकते हैं, अगर सोनिया मैडम नाराज हो जाएँगी, तो वो तो मनमोहन जी को हटाकर राहुल जी को मंत्रिमंडल का मानीटर बना देंगी इसी लिए मनमोहन जी बीच - बीच में सोनिया मैडम की खुशामद कर देते हैं |</span></span><br />
<span class="Apple-style-span" style="line-height: 25px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #0b5394; font-size: large;"><br />
</span></span></div><div style="margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #0b5394;"><span class="Apple-style-span" style="font-size: large;"><span class="Apple-style-span" style="line-height: 25px;"> अमेरिका में 09/11 के हमले के दो महीने बाद हमारे देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था संसद में 13 दिसंबर 2001 को आतंकवादियों ने हमला कर दिया था जिसे हमारे सुरक्षाकर्मियों ने साहस का श्रेष्ठतम प्रदर्शन करते हुए नाकाम कर दिया था, तथा कुछ सुरक्षाकर्मियों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग करके हमारे देश की अस्मिता को बचाया था,लेकिन जहाँ एक ओर अमेरिका ने न्यूयार्क और पेंटागन में हमला करने वालों को कुछ ही समय में नेस्तनाबूद कर दिया वहीँ भारत में संसद में हमले का मुख्य आरोपी अफजल गुरु सालों पहले मृत्युदंड पाए जाने के बावजूद अभी तक जिन्दा है, यदि इस हमले में एक भी सांसद की मौत होती तो निश्चित ही हमले के मास्टरमाइंड को तुरंत सजा दे दी जाती लेकिन चूँकि मौत सुरक्षा कर्मियों की हुई है, इसलिए इस मुद्दे में अभी भी सिर्फ राजनीति की जा रही है | क्या भ्रष्टाचार और आरोप -प्रत्यारोप का खेल खेलने वाले राजनेताओं के सामने देश के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले सुरक्षाकर्मियों की जिंदगी का कोई मूल्य नहीं है|</span></span></span><br />
<span class="Apple-style-span" style="color: #0b5394; font-size: large;"><span class="Apple-style-span" style="line-height: 25px;"><br />
</span></span><br />
<div style="line-height: 25px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #0b5394; font-size: large;"> गुजरे वर्ष में बहुत सी ऐसी घटनाएं हुई जोकि किसी भी सभ्य देश के लिए अत्यंत शर्मनाक एवं दुखदायी मानी जाएँगी | इनमें बहुत सी घटनाओं का जिक्र अनेकों बार किया जा चुका है इसलिए मैं दो ही दुर्घटनाओं की चर्चा करूँगा |</span></div></div><div style="line-height: 25px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; font-size: large;"><span class="Apple-style-span" style="color: #0b5394;"> </span><span class="Apple-style-span" style="color: #f6b26b;"><b style="text-decoration: underline;">प्रथम घटना -- </b></span><span class="Apple-style-span" style="color: #0b5394;">07 जून 2010 को भोपाल गैस त्रासदी के साढ़े पच्चीस वर्ष बाद भोपाल की अदालत ने फैसला सुनाया जिसमें लाखों लोगों के जीवन को बुरी तरह दे प्रभावित करने तथा हजारों लोगों की जान लेने वाली इस भीषणतम दुर्घटना के 8 दोषियों को मात्र दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गयी जबकि इस दुर्घटना का मुख्य आरोपी यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन सी.ई.ओ. वारेन एंडरसन को मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने दुर्घटना के चंद घंटों बाद ही पूरे राजकीय सम्मान के साथ उसके देश अमेरिका में भिजवा दिया था और आज वह अमेरिका में आनंद का जीवन व्यतीत कर रहा है| इस मामले में राजनीतिज्ञों , प्रशासनिक अधिकारियों, न्यायाधीशों सभी की भूमिका नकारात्मक रही | 13 अप्रैल 1919 को अंग्रेजी शासन की बर्बरता का सबूत मिला था जब अंग्रेज अधिकारी जनरल डायर ने जलियावाला बाग़ में शांतिपूर्ण सभा कर रहे लोगों को बिना चेतावनी दिए अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी जिसमें दो हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हो गयी थी लेकिन तब तो एक विदेशी सरकार हम पर शासन कर रही थी जबकि 1984 में तो हमारी खुद की सरकार थी पर हजारों हत्याओं के मुख्य दोषी को तो हमारे नेताओं ने सुरक्षित उसके देश पहुंचा दिया जबकि हमारी न्यायपालिका ने अन्य दोषियों को 26 साल बाद मात्र दो साल की कैद सुनाई, बची खुची क़सर भ्रष्ट नेताओं एवं अधिकारियों ने प्रभावितों को उचित मुआवजा तथा सुविधाएं न देकर पूरी कर दीं | निश्चित ही यह दुर्घटना तथा उस पर ऐसा अन्यायपूर्ण न्याय हमारे देश के लिए एक कलंक है |</span></span><br />
<span class="Apple-style-span" style="background-color: white; font-size: large;"><span class="Apple-style-span" style="color: #0b5394;"><br />
</span></span></div><div style="line-height: 25px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; font-size: large;"><span class="Apple-style-span" style="color: #0b5394;"> </span><b><u><span class="Apple-style-span" style="color: #f6b26b;">द्वितीय घटना</span></u></b><span class="Apple-style-span" style="color: #0b5394;"> </span><span class="Apple-style-span" style="color: #f6b26b;">-- </span><span class="Apple-style-span" style="color: #0b5394;"> इसी प्रकार एक अन्य दुर्घटना 30 नवंबर 2010 को घटी, यह दुर्घटना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण थी, जब भारत में स्वदेशी आन्दोलन के उत्प्रेरक, आजादी बचाओ आन्दोलन के प्रणेता एवं भारत स्वाभिमान संगठन के तात्कालीन सचिव राजीव दीक्षित जी की मृत्यु हो गयी | यह देश के लिए ऐसी हानि है, जिसकी पूर्ति वास्तव में संभव नहीं है, एक वैज्ञानिक होने के बावजूद उन्हें भारत के अतीत एवं वर्तमान के प्रत्येक पहलू की पूरी जानकारी थी, कोई भी व्यक्ति यदि उसमें जरा भी देश प्रेम की भावना है राजीव जी के विद्वतापूर्ण एवं चमत्कारिक भाषण को एक बार सुनकर उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था| चार -पांच माह पहले मुझको राजीव जी के भाषण को सुनने का सुअवसर मिला था जब वे मैहर आये थे | जब भी किसी समाज अथवा देश में बुराइयाँ बढ़ती हैं तो वहां पर एक महापुरुष का आगमन होता है जोकि उस समाज को सही दिशा देता है लेकिन लगता है की भारतमाता को यह मंज़ूर नहीं था इसीलिए उन्होंने हम सब के बीच से भारत के इस महान सपूत को इतनी जल्दी वापस बुला लिया |</span></span></div><div style="line-height: 25px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #0b5394; font-size: large;"> पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है, मीडिया किसी भी देश के लोगों की आवाज होती है जोकि उस आवाज़ को संविधान के दूसरे स्तंभों तक पहुंचाती है लेकिन यदि यही मीडिया किसी मुद्दे पर चुप्पी साध ले तब तो आम जन असहाय हो जायेगा | इस दुर्घटना में मीडिया का कुछ ऐसा ही रवैया रहा है | राजीव जी की मृत्यु की खबर मुझ तक 05 दिनों बाद पहुंची थी वह भी किसी व्यक्ति के द्वारा | वर्तमान में भारत के सबसे विद्वान राष्ट्रभक्त की मृत्यु की खबर किसी भी समाचार चैनल तथा किसी भी समाचार पत्र में प्रकाशित नहीं हुई | यह बात कैसे संभव है कि बहुत सारे घोटालों का खुलासा करने वाली मीडिया को इस दुर्घटना की खबर नहीं लगी, क्या राजीव जी पत्रकारिता की परिधि के बाहर थे, क्या वे राष्ट्र प्रेम की उस सीमा को भी पार कर चुके थे जिस सीमा के आगे पत्रकारिता का स्वरूप बौना हो जाता है, मेरा मानना है की इस अर्थ प्रदान युग में बहुत से धन लोलुप एवं विदेश प्रेमियों का राजीव जी के स्वदेशी आन्दोलन से नुकसान हुआ होगा इसलिए यदि किसी एक समाचार पत्र या चैनल अथवा कोई एक मीडिया समूह अथवा मीडिया का एक विशेष वर्ग यदि इस खबर की अनदेखी करे तो बात समझ में आती है लेकिन यदि पूरा मीडिया ही इस खबर की अनदेखी कर रहा है तो उसका अर्थ यही है की कोई एक ऐसा तत्त्व है जोकि मीडिया द्वारा दी जा रही खबरों पर नियंत्रण रखता है, तथा अपने लिए हानिप्रद खबरों को आम जन तक पहुँचने से रोकता है | </span></div><div style="line-height: 25px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #0b5394; font-size: large;"> राजीव जी की मृत्यु की खबर तुरंत किसी को नहीं लगने दी गयी तथा उनकी लाश का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया तथा उसके बाद मीडिया की गहरी चुप्पी यह इशारा कर रही है की एक महीने पहले देश में एक बहुत बड़ी तथा सोची समझी साजिश रची गयी थी |<span class="Apple-style-span" style="font-family: arial, sans-serif;"><span class="Apple-style-span" style="border-collapse: collapse; line-height: normal;"></span></span></span></div><div style="line-height: 25px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #0b5394; font-size: large;"> जिस प्रकार से वीर विनायक दामोदर सावरकर ने काला पानी की 10 सालों की अति कष्टदायक सजा भारत की आजादी के स्वर्णिम सपने को देखते हुए भोग ली लेकिन भारत की आजादी के बाद महात्मा गाँधी की हत्या की साजिश रचने के आरोप में उन्हीं को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया गया था, उसी प्रकार भारत के स्वर्णिम अतीत को वापस लाने तथा भारत के सभी लोगों को खुशहाल बनाने की चाह रखने वाले राजीव जी ने अपने पूरा जीवन देश सेवा में लगा दिया लेकिन उनको भी ऐसी रहस्यमयी मौत लील ले गयी और हमारे मीडिया ने मुहँ बंद कर लिया |</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #0b5394; font-size: large;"><br />
</span></div><div style="line-height: 25px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; margin-right: 0px; margin-top: 0px;"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; color: #0b5394; font-size: large;"> </span></div></div>देवांशु (शिवम्)http://www.blogger.com/profile/00797931176280885169noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5697174129095160877.post-4676163951790015162010-11-24T17:50:00.002+05:302010-11-25T15:30:40.952+05:30साइकिल एक्सप्रेस<span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"> साइकिल चलाना अपने आप में एक विशेष अनुभूति होती है बशर्ते साइकिल चलाने वाले में इस विशेष अनुभूति का अनुभव करने की ललक हो |</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"><br />
</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"> कुछ दशकों पहले जब गाँव अथवा छोटे दर्जे के शहरों में यदि कोई व्यक्ति साइकिल खरीदता था तो उस व्यक्ति का दर्जा गाँव में बढ़ जाता था और वह साइकिल पूरे गाँव की शान होती थी ( यह बात तो मैंने अपने बुजुर्गों से ही जानी है ) |</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"><br />
</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"> पर अब जमाना बदल गया है ,दो पहिया वाहन तो अब अति पिछड़े गाँव में भी देखे जाने लगे हैं और चार पहिया वाहनों की भी बाढ़ सी आ गयी है | ऐसे समय में साइकिल को निम्न आय वर्ग का सूचक मान लिया गया है |</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"><br />
</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"> अब मध्यम वर्ग एवं उच्च वर्ग के युवा एवं प्रौढ़ लोग तो साइकिल चलाने की सोच भी नहीं सकते अलबत्ता ये राहत की बात है की बच्चों के पास एक साइकिल अवश्य रहती है उनमें भी परंपरागत साइकिलों का स्थान रेंजर एवं स्टायलिश साइकिलों ने ले लिया है | परन्तु आधुनिकता के परिणाम स्वरूप 15-16 वर्ष के किशोर एवं किशोरियों में दो पहिया वाहन लेने की आकांक्षा जाग्रत होने लगती है |</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"><br />
</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"> परन्तु अभी भी साइकिल चलाने में आनंद की अनुभूति करने वाले लोगों की संख्या इस देश में समाप्त नहीं हुई है , जैसे की साइकिल प्रेमियों के लिए बंगलुरु के शमीम रिजवी आदर्श हैं जो की विश्व की कठिनतम साइकिल स्पर्धाओं में से एक ''रेस एक्रोस अमेरिका'' में शिरकत कर चुके हैं तथा उन्होंने इस प्रतियोगिता में पहुँचने के लिए 24 घंटों लगातार बिना रुके 700 किलोमीटर साइकिल चलाई थी |</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"><br />
</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"> हम ज्यादातर मामलों में पश्चिम की अंधी नक़ल करते हैं परन्तु साइकिल के मामले में हम उनसे दूर ही रहना चाहते हैं | अमेरिका जैसे उन्नत देशों में साइकिल संस्कृति का उदय तेजी से हो रहा है , दुनिया के कई बड़े शहरों में साइकिलों के लिए अलग से ट्रैक एवं पार्किंग विकसित की जा रही है तथा लोगों को साइकिल संस्कृति से जोड़ने के लिए बसों में साइकिलों को समुचित रूप से टांग सकने के लिए विशेष प्रकार के कैरियर लगवाये जा रहे हैं |</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"><br />
</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"> साइकिल चलाने के फायदे किसी के लिए भी अज्ञात नहीं हैं शारीरिक, पर्यावरणीय एवं आर्थिक लाभ के साथ-साथ के मानसिक लाभ भी हैं यदि साइकिल प्रदूषण युक्त शहरों से बाहर चलाई जाये तो प्रकृति से सीधे जुड़कर सभी प्रकार के मानसिक तनावों से मुक्ति पायी जा सकती है</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"><br />
</span><span class="Apple-style-span" style="color: #2198a6; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 15px; line-height: 20px;"> मेरे ख्याल से मैंने साईकिल का काफी महिमामंडन कर दिया है, उम्मीद है की पाठक अपने विचारों एवं नई तथा दिलचस्प जानकारियों से मुझको अवगत कराते रहेंगे |</span>देवांशु (शिवम्)http://www.blogger.com/profile/00797931176280885169noreply@blogger.com3